shweta soni

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वो डरावने सपने...( भाग - 3 )

सोनाली कि आंखे जब खुली तो उसने अपने आप को जंगल में लेटे हुए पाया । वो अपने आस -पास देखती है और सोच रही है कि अभी कुछ देर पहले ही तो मैं ऑफिस में थी , तो मैं यहां कैसे आई । वो उठते हुए अपने आप को देखती है ! ये मैंने कौन से कपड़े पहन रखे हैं । एक लाल साड़ी जो घुटने तक पहनी है और पैर में पाजेब ये कैसे कपड़े है ? हो क्या रहा है मेरे साथ , मैं यहां आई कैसे?  क्या मैं अपना दिमागी संतुलन खो रही हूं ! वो अपने आप से कहने लगती हैं । 



तभी उसे वही जानी पहचानी आवाज सुनाई दी ।  श्यामली तुम्हें तो यहां आना ही था .... सोनाली लगभग चीखते हुए !!  मैं तुम्हारी श्यामली नहीं हूं.... कौन हो तुम क्यों मुझे परेशान कर रहे हो । प्लीज मुझे परेशान करना बंद करो !
रोते हुए सोनाली किसी अदृश्य शक्ति को कह रही थी । तभी उसे अपने सामने एक आकृति उभरती दिखी । जब उस साये को स्पष्ट रूप में सोनाली ने देखा तो उसकी चीख निकल गई | 
उसका पूरा जिस्म विभित्स दिख रहा था , जैसे किसी हिंसक   जानवर ने उसके जिस्म को जगह - जगह काट खाया हो | आंखें बाहर कि ओर निकली हुई थी और थोड़ा बहुत कुछ बचा था उसमें कीड़े हो गये थे | कोई भी साधारण इंसान ये सब देख कर अपने होश खो बैठता , सोनाली का भी यही हाल था वो डर से कांप रही थी | 

श्यामली....तुम मुझे  भूल गयी तुम तो मुझसे प्रेम करती थी ना... तो तुम मुझे कैसे भूल गयी | बोलो श्यामली...बोलो... तेज आवाज में गुस्से से बोल रहा था वो .... अब उस आकृति ने प्यार से कहा - आओ मेरे पास... आओ शयामली मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ और तुम जब वापस मेरे पास आयी हो तो मुझे भूल गयी... ये अच्छी बात नहीं है श्यामली ! मुझे गुस्सा आ जायेगा उस आकृति  ने लगभग चीखते हुए कहा । और वो सोनाली कि तरफ बढ़ने लगा उस सायें ने सोनाली का हाथ पकड़ लिया ‌। बचाओ मां....और सोनाली कि आंख खुल गयी । वो अभी भी हांफ रही थी उसने अपने आप को संयत करते हुए अपने सामने देखा वो अपने रूम में बैड पर लेटी हुई थी ।

सोनाली अपने आप से - ऐसा कैसे हो सकता है !!! मैं फिर से सपना देख रही थी लेकिन मैंने खुद उस साये को देखा है शरीर का रूप लेते मुझसे बात करते । आह...मेरी कलाई में आचानक दर्द कैसा ? लेकिन जब सोनाली ने अपनी कलाई देखी तो वो डर से कांपने लगी । उसके हाथ में किसी के पकड़ने के लाल निशान थे | अगर मैं सपना देख रही थी तो उस सायें ने मेरी कलाई सपने में पकड़ी थी लेकिन उसके निशान और दर्द यहां कैसे ?आखिर हो क्या रहा है मेरे साथ और सोनाली रोने लगती हैं | 

सोनाली कि मां सोनाली की आवाज़ सुनकर उसके पास आती हैं -  क्या हुआ बेटा तु ऐसे क्यूं चीखी , सोना बता बेटा तू समस्या बतायगी तभी तो हम उसका हल ढूंढेगें |बता बेटा?  
सोनाली - मां मैं जो भी कहूंगी क्या आप मानोगी ? हां बिल्कुल मानूंगी तू बता तो सही | 

सोनाली ने बताना शुरू किया - मां ये सब मेरे साथ तब शुरू हुआ जब मैं छोटी थी शायद 10 साल की रही होंगी | मां मुझे बहुत ही "डरावने सपने "आते है । सोनाली ने अपनी मां को शुरू से लेकर अब तक की सब घटनाओं को बता दिया । पहले तो ये सपने कुछ महीनों में आते फिर हफ्ते और अब तो रोज ही ये सपने मुझे आते है । मां कभी - कभी तो मुझे ये लगता है कि मैं अपना मानसिक संतुलन खो रही हूं और सोनाली अपनी मां से लिपट कर रोने लगती हैं ।

मधु - सोना तुम्हारे साथ इतना कुछ हो गया और तुने कभी ये बात मुझे नहीं बतायी | सोनाली को गले लगाते हुए ! तू मेरी बहादुर बेटी  और अच्छी बेटी है माता रानी अच्छे लोगों के साथ कुछ बुरा नहीं होने देंगी | सोनाली कि मां घर में बने मंदिर में देवी मां के सामने हाथ जोड़ते हुए |
हे माता रानी मेरी बेटी कि रक्षा कीजिये उसे उस बुरे सायें से बचाइये मां मैं अपने पति को तो खो चुकी हूं | अब अपनी बेटी को खोना नहीं चाहती | मेरी बेटी को राह दिखाइये मां उसकी रक्षा कीजिये | सोनली की मां माता रानी के सामने आंचल फैला कर प्रार्थना कर रही थी और सोनाली भी अपनी मां के बगल में हाथ जोड़े बैठी है |

तभी माता रानी में चढ़े फूल मधु कि आंचल में आकर गिर पड़ा | मघु अपने आंचल में गिरे फूल को उठा कर प्रणाम करती हैं और उसे सोनाली के दोनों आंखों और माथे का स्पर्श करा कर सोनाली को देती हैं | मधु - मां आज आपने मेरी विश्वास कि लाज रख ली | अब मुझे पूरा विश्वास है कि आप मेरी बेटी का कुछ भी अहित नहीं होने देंगी 🙏 

सोनाली - मां अब तो माता रानी का आशीर्वाद भी हमारे साथ है | मुझे कुछ नहीं होगा अब आप रोना बंद करिये प्लीज आपका रोना मुझसे देखा नहीं जाता | 
मां  मैं पूछना भूल गयी कि मुझे घर कौन लाया और दादी कहां है दिख नहीं रही | 
सोनाली कि मां - तेरे ऑफिस का एक लड़का है क्या नाम बताया था उसने!!! प्रशांत हां प्रशांत नाम हैं उस लड़के का बहुत ही अच्छा लड़का है । जब प्रशांत तुझे बेहोशी कि हालत में घर लाया तो तेरी दादी और मैं दोनों घबरा गये थे 

उस समय प्रशांत ने ही हमे हौसला दिया और मांजी के साथ मंदिर गया है । काली माता के दर्शन करने और पंडित जी से मिलने | सोनाली - पंडित जी से क्यूं मिलने गये हैं । 

सोनाली कि मां ने बात बदलते हुए कहा - तू वो सब छोड़ चल और जा कर आराम कर तब तक मैं रात की खाने की तैयारी करती हूं | आज प्रशांत भी हमारे साथ ही खाना खायेगा | 
सोनाली ये सुनकर कि प्रशांत भी  साथ डिनर करेगा । सोनाली के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और वो भी अपनी मां का हाथ बंटाने किचन में चली गई |उधर सोनाली से थोड़ी ही दूर पर एक साया उसे अपनी जलती आंखों से घूर रहा था....

  क्रमश:       

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9 Comments

Khan

03-Aug-2022 04:59 PM

Nice

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Aniya Rahman

02-Aug-2022 10:55 PM

Nyc

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Chudhary

02-Aug-2022 09:27 PM

😊😊😊

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